भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर के मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में रोगियों को सीटी स्कैन और एमआरआई जांच के शुल्क में राहत मिलने वाली है। मप्र सरकार खुद यहां दोनों सुविधाएं शुरू कर रही है। अभी निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) से यह सुविधा मिल रही है। इस कारण गैर आयुष्मान रोगियों को शुल्क देना पड़ रहा है। हालांकि, पीपीपी में शुल्क निजी अस्पतालों की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत ही है। सरकार की तरफ से सुविधा उपलब्ध होने पर दरें और कम हो जाएंगी।
आयुष्मान रोगियों की जांच के बदले सरकार अभी जो राशि मशीन स्थापित करने वाले निवेशक को दे रही है, वह अस्पताल को मिलेगी, जिसका उपयोग मरीजों के लिए सुविधाएं विकसित करने के लिए हो सकेगा।
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने विद्यार्थियों की क्लीनिकल पढ़ाई के उद्देश्य से खुद की सीटी स्कैन और एमआरआइ मशीन लगाने के लिए कहा है। अभी मशीन निजी निवेशक की होती है, इसलिए एमबीबीएस और एमडी-एमएस के विद्यार्थियों को सीखने का पर्याप्त मौका नहीं मिल पाता है।हालांकि, सीटी स्कैन और एमआरआई दोनों की जांच रिपोर्ट तैयार करने का काम रेडियो डायग्नोसिस विभाग के फैकल्टी और विद्यार्थी ही कर रहे हैं। सरकार मशीन लगाती है तो दोनों सुविधाओं की निरंतरता भी बनी रहेगी। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों ने बताया कि सीटी स्कैन और एमआरआइ की सुविधा शुरू करने के लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मशीनें स्थापित करने में लगभग चार महीने लग जाएंगे, तब तक पीपीपी से जांच होती रहेगी।
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