डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को कैसे मिल सकी रिहाई जाने.....
भोपाल। डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को मंगलवार को 10 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत मिल गई। रात करीब 9 बजे भोपाल जेल से उनकी रिहाई हुई। जेल से बाहर आकर बांगरे ने अपने 5 साल के बेटे को गोद में लेकर गले से लगाया। 3 महीने पहले छतरपुर जिले के लवकुशनगर में एसडीएम के पद से इस्तीफा दे चुकीं निशा बांगरे को सोमवार को भोपाल में प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया था। खींचतान में उनके कपड़े भी फट गए थे। उनके खिलाफ धारा 151 के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई थी।निशा बैतूल के आमला से पदयात्रा करते हुए भोपाल पहुंची थीं। वे सीएम हाउस जाना चाहती थीं, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक लिया था। उन्हें गिरफ्तार कर एसीपी एमपी नगर अक्षय चौधरी की कोर्ट में पेश किया गया। जहां उन्होंने जमानत मुचलका भरने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था। 28 सितंबर को शुरू की थी पदयात्रा
भोपाल में प्रदर्शन के दौरान बांगरे ने कहा था, 'मैं 12 दिन से सड़क पर हूं। CM आंख से आंख मिलाकर बताएं कि इस बेटी के साथ अन्याय क्यों कर रहे हैं? जब हमने न्याय यात्रा शुरू की थी, तब पुलिस के जरिए हम पर गोली चलवाने, डंपर से कुचलवाने की धमकी दी गई।'
उन्होंने कहा, 'मध्यप्रदेश शासन मेरे साथ अन्याय कर रहा है। मुझे न्याय के लिए 200 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलकर आमला से भोपाल आना पड़ा। पहले मुझे सर्वधर्म प्रार्थना करने से रोका गया। मुझे मेरे के घर उद्घाटन में जाने से भी रोका जबकि संविधान हमें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। मैंने इस्तीफा दिया तो तथाकथित मामा मेरे साथ नोटिस और पुलिस-पुलिस खेल रहे हैं।' बांगरे ने पदयात्रा की शुरुआत 28 सितंबर को की थी।
22 जून को लेटर लिखकर दी थी इस्तीफे की जानकारी
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में जन्मीं निशा बांगरे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद गुरुग्राम स्थित मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की। 2016 में उनका चयन एमपी में डीएसपी के पद पर हुआ। 2017 में वे डिप्टी कलेक्टर चुनी गईं। उनकी पहली पोस्टिंग बैतूल के आमला क्षेत्र में थी । उनके पति मल्टी नेशनल कंपनी में अधिकारी हैं।
बांगरे ने 25 जून को आमला में अपने घर के उद्घाटन समारोह के दौरान सर्व धर्म प्रार्थना और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए छुट्टी मांगी थी। उन्हें छुट्टी नहीं दी गई थी। इस पर बांगरे ने 22 जून को अपने विभाग को एक लेटर लिखकर इस्तीफे की जानकारी दी थी।
मध्यप्रदेश सरकार ने निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर करने से इनकार कर दिया था। इस्तीफा अमान्य करते हुए कहा गया था कि उन्होंने शासन के निर्देशों की अवहेलना, अनुशासनहीनता और गंभीर कटाचरण किया है।
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