सागर। लगातार अनावश्यक रूप से सामान्य शिकायतों पर भी पत्रकारों के खिलाफ पुलिस द्वारा तत्काल एफआईआर दर्ज कर ली जाती है। यह एक पहला मामला नहीं है इसके पूर्व में भी इसी प्रकार के कई प्रकरण दर्ज हुए हैं। पत्रकारों द्वारा सत्यता उजागर करने के लिए समाचार प्रकाशित किए जाते हैं तो साजिश के तहत पत्रकारों को फर्जी तरीके से फंसाने के लिए उन पर दबाव बनाने के लिए प्रकरण दर्ज कर दिए जाते हैं। इसी प्रकार लगातार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। मामला सागर जिले का है
 जिसमें एक पत्रकार द्वारा कार्टून के माध्यम से अभिव्यक्ति की गई लेकिन पुलिस द्वारा विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर दिया गया जबकि वास्तविकता में ऐसा कोई मामला नहीं था। पत्रकार गजेंद्र ठाकुर द्वारा एक व्यवस्था को कार्टून के माध्यम से चिन्हित किया था लेकिनपुलिस के खिलाफ बोलने पर पत्रकार को कानूनी कार्यवाही से गुजरना पड़ा।
 गजेंद्र ठाकुर के खिलाफ जैसीनगर थाना पुलिस द्वारा प्राप्त आवेदन के आधार पर 295 ए ,153 ए, 505 का मामला पंजीबद्ध कर दिया मामला दर्ज होने के बाद पत्रकार एकजुट हुए और एसपी को ज्ञापन सौंपा के माध्यम से मांग की गई कि इस प्रकार से पत्रकारों पर यदि प्रकरण बनाए जाएंगे तो पत्रकार कार्य नहीं कर पाएंगे पत्रकारिता एवं कार्टून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है लेकिन पुलिस द्वारा संविधान के अनुरूप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के पूर्व जिला अध्यक्ष संजय गुप्ता ने उक्त मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवम पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश पुलिस को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच कर एफआईआर रद्द करने की मांग की है।

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