छत्तीसगढ़ से ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी

रायपुर। राजधानी के फल बाजार में रविवार को वाटर सेब देखकर हर कोई हैरान रह गया। मालवीय रोड में फेरीवाला इस फल बेचने पहुंचा, लेकिन अधिकतर लोगों ने वाटर सेब पहली बार देखा और नाम सुना। इस वजह से सेब खरीदने से पहले इसकी विस्तृत जानकारी लेते दिखे। बंगाल, केरल और आंध्र प्रदेश में वाटर सेब की खेती बड़े पैमाने पर होती है। कृषि वैज्ञानिक एसके विक्रम का कहना है, वाटर सेब को हिंदी में जमरूल कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम सिजीजियम समरंगेंस है।

यह सफेद और गुलाबी रंग का होता हैं। इसमें 70 प्रतिशत तक पानी होता है। यह मुख्यतः गर्मी का फल है और मई-जून के महीने में पकता है। थाईलैंड, कंबोडिया, ताइवान, वियतनाम, लाओस और भारत का लोकप्रिय फल है। फल का स्वाद मीठा होता है। शहर में पहली बार यह फल बाजार में पहुंचा है। इस वजह से ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।

राजधानी में वाटर सेब 60 रुपए पाव में बिक रहा है। लोगों को इस फल की जानकारी नहीं होने की वजह से फेरीवालों को विस्तार से इसके बारे में बताना पड़ रहा है। लोगों को टेस्ट करवाने की भी जरुरत पड़ रही है। शरीर के लिए लाभकारी होने की वजह से लोग हाथों-हाथ इसे खरीद रहे हैं। गर्मी होने से इस फल की मांग बढ़ सकती है। फेरीवाले का कहना है, वाटर सेब को बंगाल से बेचने मंगाया है। जिन्हें फल के बारे में मालूम है वह खरीद रहे हैं। ज्यादातर लोग वाटर सेब नाम सुनकर ही आश्चर्य में हैं।

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