//अभिषेक नामदेव बमीठा खजुराहो//
विशाल जनसमुदाय बना कलश यात्रा का साक्षी
कल से बागेश्वर धाम में गूंजेगी श्रीरामकथा
छतरपुर। तपोभूमि श्री बागेश्वर धाम गढ़ा में बुन्देलखण्ड का महाकुंभ विशाल कलश यात्रा के साथ शुरू हो गया। हजारों लोगों का जनसमुदाय इस कलश यात्रा का साक्षी बना। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री एवं यज्ञपुरूष बद्रीनाथ धाम के बालक योगेश्वर दास महाराज की भव्य उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना कर कलश यात्रा शुरू हुई। मंगलवार से तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरू श्री रामभद्राचार्य महाराज के मुखारबिंद से 9 दिनों तक श्रीराम कथा श्रवण करने का अवसर मिलेगा।
सिद्धक्षेत्र बागेश्वर धाम में दोपहर करीब 2 बजे देवी मंदिर से कलश यात्रा शुरू हुई। बैण्ड बाजे और डीजे के साथ हजारों महिलाएं सिर पर कलश रखकर यात्रा में चल रही थीं। देवी मंदिर में विधिविधान से पूजा अर्चना की गई। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर महाराजश्री एवं बद्रीनाथ धाम के महाराजश्री की विशेष उपस्थिति में पूजा अर्चना के बाद कलश यात्रा रवाना हुई। गढ़ा गांव के मुख्य मार्गों से होती हुई विभिन्न मंदिरों में पहुंची जहां पूजा अर्चना के बाद बागेश्वर धाम के प्रमुख मंदिर का परिक्रमा करती हुई कलश यात्रा कथा स्थल तक गई। यहीं कलश यात्रा का विराम हुआ। कलश यात्रा का पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया गया। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि कलश यात्रा का धार्मिक महत्व होता है। आध्यात्मिक दृष्टि से कलश यात्रा का अर्थ कैलाश की यात्रा और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त करने की यात्रा है। रास्ते में घोड़े नृत्य करते चल रहे थे। धार्मिक गीतों की धुन पर उत्साह के साथ भक्तगण झूमते हुए चल रहे थे। क्षेत्र और जिला ही नहीं दूरदराज से लोग कलश यात्रा में शामिल होने बागेश्वर धाम आए हैं।
यज्ञशाला में वेदी पूजन के साथ गूंजने लगे वैदिक मंत्र
कलश यात्रा में न केवल हजारों लोग शामिल हुए बल्कि वे यजमान भी शामिल हुए जो 251 कुण्डीय महायज्ञ में भाग ले रहे हैं। कलश यात्रा के बाद काशी से आए मुख्य यज्ञाचार्य पं. पूर्णचन्द्र उपाध्याय ने वैदिक मंत्रों के साथ पूजन कराया। मण्डप पूजन के बाद वेदी पूजन का कार्यक्रम हुआ। सभी यजमानों को हवन कुण्डों में बैठाकर वेदियों का विधिविधान से पूजन किया गया। मंगलवार से महायज्ञ की विधिवत शुरूआत होगी।
महिलाओं ने उत्साह के साथ किया नृत्य
ढोल नगाड़ों की थाप पर महिलाएं नृत्य कर रही थीं। बागेश्वर धाम पीठ के मुख्य दरवाजे के पास महिलाओं ने जमकर नृत्य किया। ऐसी मान्यता है कि भजन हों या भगवान के नाम की चर्चा हो जब तक भक्त झूमता नहीं है तब तक उसे परम आनंद नहीं मिलता। अंदर से भगवान के प्रति समर्पण का भाव व्यक्त करने वाली महिला भक्तों ने खूब नृत्य किया।
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