सतीश कुमार रजक संवाददाता

भारतीय संस्कृति में नृत्य को कला ही नही, ईश्वर साधना माना गया है:राज्यपाल
नृत्य कला सार्व भोम कला है यह प्रकृति की सहजता से जुड़ी है

राज्यपाल ने 48वें खजुराहो नृत्य समारोह का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया
नव गति, नव ताल और छंद नव को समर्पित है नृत्य समारोह नृत्य समारोह में 8 देशों के राजदूत और उच्चायुक्त की उपस्थिति रही
प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने 48वें खजुराहो नृत्य समारोह का दीप प्रज्जवलित शुभारंभ किया। कंदरिया महादेव माँ जगदम्बा के प्रांगण में रविवार को आयोजन हुआ। भारतीय संस्कृति में नृत्य कला ही नही, ईश्वर साधना माना गया है। नृत्य कला सार्व भोम कला है यह प्रकृति की सहजता से जुडी है। कला के विभिन्न रूप देखकर मन प्रफुल्लित है भारत की संस्कृति विरासत को जानने का अवसर मिला है।राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि 48वें समारोह का शुभारंभ करके उन्हें आत्मीय खुशी हुई है।
खजुराहो में शास्त्रीय नृत्य का संदर्भ केंद्र की होगी स्थापना: पर्यटन मंत्री
संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि मंदिरो की परम्परा से नृत्य शैली का उद्गम हुआ है। उन्होंने कहा कि वीरों की पूजा घरों मे करे, उनके व्यक्तित्व से गाथा समझें। उन्होंने संस्कृति धर्म अध्ययत्म को देखने के लिए देशों के राजदूत और उच्चायुक्त को आमंत्रित कर इसके गौरव को बढ़ाया है। उन्होंने खजुराहो में शास्त्रीय नृत्य का संदर्भ केंद्र स्थापित करने की घोषणा की।

प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और छतरपुर जिले के प्रभारी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि संस्कृति विभाग ने खजुराहो  नृत्य समारोह के आयोजन को नई दिशा दी है। अर्थ के साथ अध्यातम को जोड़ने का उदाहरण केवल भारत मे ही मिलता है। खजुराहो मे स्थापित मंदिरों की लोक कला गाथा और गणित का सर्व श्रेष्ठ उदाहरण और कहीं नही मिलता है। अर्थ के साथ अध्यातम को जोड़ने का उदाहरण केवल भारत मे ही मिलता है यह क्षेत्र पूर्वजों की धरोहर है नई पीढ़ी को पूर्वजों की सोच को बारे में ज्ञान मिलता है
खजुराहो सांसद व्ही.डी. शर्मा ने कहा कि खजुराहो विश्व के पटल पर उभरने वाला क्षेत्र है यहां कला संस्कृति, अध्यातम का अनूठा संगम है। यहां पर्यटन के साथ एयर और रोड कनेक्टविटी की सुविधा बेहतर हो रही है। 
प्रमुख सचिव शेखर शुक्ला ने पृष्ठ भूमि पर प्रकाश दिया शुभारंभ के अवसर पर स्व. पंडित बिरजू महाराज के शिष्य गण कला श्रम नई दिल्ली द्वारा कत्थक समूह नृत्य और शांता -वीपी धंनजय-साथी द्वारा भरत नाट्यम की प्रस्तुति हुई। जिसक़ी कर तल ध्वनि से सराहना की गईं।
इस अवसर पर कालिदास सम्मान पुरस्कार सहित विभिन्न विधाओं के पुरस्कार प्रदाय किये गये। राज्यपाल ने देशों के राजदूत और उच्चायुक्त से परिचय प्राप्त किया। राज्यपाल ने कत्थक के लिये सुमेधा हजारी लाल भरत नाट्यम के लिये वीपी धनंजयन और सुश्री शांता धनंजय को शॉल श्रीफल, सम्मान पट्टीका और सम्मान राशि भेंट की। इसी तरह प्रिया सिसोदिया, दुर्गेश बिरथरे, नरेंद्र जाटव, संजय धवले, पुनीत शर्मा, सुश्री अग्निशा, ऋतुराज श्रीवास्तव और डॉ. सोनाली चौहान को राज्य अलंकरण से सम्मानित किया गया।

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