छत्तीसगढ़ से ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी
दुर्ग : आयुक्त महादेव कावरे ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आदेश दिया है कि किसी दोषी कोटवार को हटाने पर कोटवार नियुक्ति में वारिस को प्रथमिकता नहीं है और अस्थाई कोटवार नियुक्ति का अधिकार सिर्फ तहसीलदार को है।
ज्ञात हो कि कार्य में उपेक्षा व लापरवाही बरतने के कारण नायब तहसीलदार घुमका जिला राजनांदगांव द्वारा कोटवार मेघराम आ. चमरू निवासी ग्राम बहेराभांठा को पदच्यूत कर ग्राम बहेराभांटा में कोटवार पद रिक्त होने से पदच्यूत कोटवार मेघराम द्वारा पुत्र रामसुख को ग्राम बहेराभांठा को कोटवारी कार्य नियुक्ति करने न्यायालय नायब तहसीलदार घुमका के समक्ष आवेदन किया गया जिस पर नायब तहसीलदार घुमका ने रा.प्र. क्र. 04/अ-56 / वर्ष 2018-19 दर्जकर ईस्तहार प्रकाशन कराया। ग्राम पंचायत बहेराभांठा द्वारा उस पर आपत्ति प्रस्तुत की गई। प्रकरण में उभयपक्ष को सुनवाई कर, उनके चरित्र संबंधी प्रमाण पत्र थाना घुमका से आहुत किया गया। ग्राम पंचायत बहेराभांठा विकासखण्ड राजनांदगांव के द्वारा अपीलार्थी भारत लाल बंजारे पिता कार्तिक बंजारे को ग्राम बहेराभांठा का कोटवार नियुक्त करने के संबंध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर प्रस्तुत किया गया, जिसके आधार पर नायब तहसीलदार घुमका ने दिनांक 29.08.2019 को अपीलार्थी भारत लाल आ. कार्तिक राम बंजारे निवासी ग्राम बहेराभांठा तहसील व जिला राजनांदगांव को ग्राम बहेराभाठा उपतहसील घुमका तहसील व जिला राजनांदगांव को अस्थाई कोटवार नियुक्त करने का आदेश पारित किया गया उक्त आदेश के विरूद्ध उत्तरवादी रामसुख ने न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी (रा.), राजनांदगांव के समक्ष अपील प्र.क्र. 13 / अ 56 / वर्ष 2019-20 प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने उभयपक्ष को सुनवाई उपरांत दिनांक 09.10. 2020 को नायब तहसीलदार घुमका के आदेश को निरस्त करने का आदेश पारित कर निर्देशित किया कि छ.ग.भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 230 की कंडिका (2) का पालन करें।
श्री महादेव कावरे आयुक्त दुर्ग संभाग दुर्ग द्वारा न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी (रा.). राजनांदगांव के पारित आदेश दिनांक 09.10.2020 को विधिसम्मत नहीं होने से निरस्त किया और अपीलार्थी भरत लाल आ. कार्तिक राम बंजारे की अपील स्वीकार करते हुए न्यायालय नायब तहसीलदार घुमका जिला राजनांदगांव के द्वारा पारित आदेश दिनांक 29.08.2019 को यथावत रखा है। यह भी फैसला किया गया कि यदि पूर्व कोटवार को किसी दोष के कारण पदच्यूत किया गया तो उनके वारिस को कोटवार नियुक्ति में प्राथमिकता नहीं दी जा सकती।
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