छत्तीसगढ़ से ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी

खरसिया। राठौर भवन में श्रीमद् देवी भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें रविवार को आचार्य दीपककृष्ण ने शुंभ-निशुंभ, रंभ-करंभ की तपस्या, महिषासुर की उत्पत्ति और सती चरित्र की कथा सुनाई।
वहीं कथा श्रवण हेतु पहुंचीं पुरानी बस्ती भजन मंडली की माताओं को देखते ही आचार्य ने कथा के बीच में ही उनको नमन किया। वहीं उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की। कहा कि जब मैं वृंदावन से लौटा तब सर्वप्रथम इन्होंने ही मुझे कथा व्यास के रूप में प्रतिष्ठित किया और आज इनके आशीर्वाद से मैंने खरसिया अंचल में ही 70 भागवत कथाएं सुनाई हैं। वहीं कहा कि महिषासुरमर्दिनि की आराधना तो हर कोई करता है, परंतु कोई यह जानना नहीं चाहता कि माता रहती कहां हैं? प्रसंगवश आचार्य ने माता के एक सौ आठ स्थानों का वर्णन तो किया, परंतु मुख्य बात यह कही की माता को ढूंढने के लिए कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं, जब-जब जीवन में कठिनाई आए तो आप घर में बैठी अपनी माँ के चरणों में पहुंच जाना, जीवन की सारी बाधाएं तत्काल दूर हो जाएंगी।

श्रीमद् देवी भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में जगतजननी की पुण्यमयी कथाओं को सुनने के लिए बड़ी संख्या में महिलाओं तथा श्रद्धालुओं की उपस्थिति हो रही है। कथा आचार्य गोलू जी महाराज हैं। वहीं यह भक्तिमय आयोजन यजमान रागिनी-संतोष राठौर, अंबिका-धीरज राठौर एवं जमोत्री-पंकज राठौर की ओर से किया जा रहा है। 2 फरवरी से प्रारंभ यह कथा 10 फरवरी तक चलेगी। कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 2:00 बजे से भगवतीकृपा तक होता है।

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