छत्तीसगढ़ से ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी

दुर्ग। स्टेट बैंक के ब्रांच मैनेजर के साथ की गई धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने 4 आरोपियों को अलग—अलग राज्यों से गिरफ्तार किया है। हांलाकि अब भी गिरोह के तीन सदस्य फरार है। आरोपियों से 1.5 लाख नगद और अलग – अलग बैंको के एटीएम कार्ड जब्त किया गया है। आरोपी इससे पहले भी गाजियाबाद मथुरा में धोखाधड़ी में मामले में गिरफ्तार हो चुके है।

यह है पूरा मामला

भारतीय स्टेट बैंक के ब्रांच मैनेजर ने रिपोर्ट कराया कि 24 जनवरी को मोबाईल में एक अनजान व्यक्ति का फोन आया। जो अपने आप को कैलाश मध्यानी पार्टनर वेंकटेश मोटर्स का मालिक बताया। बैंक मैनेजर से अर्जेन्ट पैसा ट्रांसफर करवाना है कहकर अपने मोबाइल से बैंक डिटेल भेजकर बैंक मैनेजर से RTGS करने को कहा और बैंक पहुंचकर चेक जमा करने की बात कहीं। जिस पर से बैंक मैनेजर द्वारा कैलाश मध्यानी का खाता एवं चेक नम्बर का मिलान करने पर सही पाये जाने पर तत्काल RTGS के माध्यम से 18 लाख 24 हजार 780 रुपया खाता में भेज दिया गया।

इसके बाद फिर बैंक मैनेजर के मोबाईल फोन पर उसी नम्बर से फोन आया जिसमें दो और RTGS करने को कहा गया। तब बैंक मैनेजर को शंका होने पर कैलाश मध्यानी को फोन किया तो उनके द्वारा बैंक मे किसी प्रकार का पैसो के लेनदेन के संबंध मे नहीं कहा है। तब बैंक मैनेजर को जानकारी हुई की किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा धोखाधडी किया गया। पुलिस में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराया गया।

रिपोर्ट के बाद पुलिस की टीम ने अलग—अलग माध्यमों से पतासाजी शुरू कर दी। सायबर सेल की टीम द्वारा तकनीकी विश्लेषण से आरोपियों को अलग – अलग चिन्हित किया गया तथा आरोपियों के दिल्ली , हरियाणा में होने की जानकारी प्राप्त हुई। जिस पर टीम को तत्काल रवाना किया गया। फरीदाबाद स्थित एटीएम से पैसा निकाले जाने की सूचना मिलने पर टीम द्वारा घेराबंदी कर 4 आरोपियों विकास टिंगरा , पुनीत उफ डम्पी , मुन्ना साव तथा पवन मांझी को गिरफ्तार किया गया जो कि अलग – अलग राज्यों के निवासी है। जिन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर बताया कि ये सभी मिलकर संगठित गिरोह के रूप में धोखाधड़ी का काम कर रहे हैं। अलग- अलग राज्यों के लोगों से संपर्क कर कमीशन का लालच देकर खाता खुलवाकर उनके खातों एवं एटीएम का संचालन अपने पास रखते है तथा धोखाधड़ी कर रकम ट्रान्सफर कर रकम निकाल लेते है। गिरोह का सरगना विनय यादव फर्जी नम्बरों से बैंक मैनेजरों एवं शोरूम के कर्मचारियों से संपर्क कर उन्हें अपनी बातों में उलझा कर रकम ट्रान्सफर कर धोखाधडी करता है जिसे गिरोह के अन्य सदस्यों द्वारा रकम को निकाल कर आपस में बंटवारा कर लेते है। इस गिरोह द्वारा देश के अलग अलग राज्यों में घटना कर धोखाधड़ी करने की जानकारी प्राप्त हुई हैं जिससे अन्य राज्यों के पुलिस से संपर्क किया जा रहा है । इनसे संबंधित बैंक खातों को फ्रिज किया गया है जिसकी जाँच की जा रही है। पुलिस ने 4 आरोपियों को अलग—अलग राज्यों से गिरफ्तार किया है। हांलाकि अब भी गिरोह के तीन सदस्य फरार है।

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