छत्तीसगढ़ से ब्यूरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी 

महासमुंद पुलिस ने L.I.C. की उपभोक्ताओं की प्रीमियम की राशि को गबन कर उन्हे फर्जी प्रीमियम पावती देने वाले पर मामला दर्ज किया है. मामले का आरोपी भारतीय जीवन बीमा निगम की फर्जी प्रिमियम रसीद बनाकर 7,43,975 रूपये का धोखाधडी करते पाया गया है, जिसपर मामला दर्ज किया गया है.जीवन बीमा निगम  महासमुन्द  के विकास अधिकारी धर्मेन्द्र महोबिया ने पुलिस को बताया कि उनके अभिकर्ताओं के द्वारा उत्कृष्ट जीवन बीमा एवं व्यवसाय में वृद्धि के आधार पर उन्होंने विकास अधिकारी के साथ-साथ सीनीयर बिजनेस एसोसिएट का कार्य करने का प्रभार जीवन बीमा निगम से लिया है.

सीनीयर बिजनेस एसोसिएट बनने के बाद धर्मेन्द्र महोबिया को L.I.C. ने लाइफ प्लस मर्चेण्ट आई. डी. प्रदान कर रीनीवल प्रीमीयम L.I.C. पॉलिसी के संग्रह के लिए अधिकृत किया गया. उनके द्वारा लाईफ प्लस की आफिस जून 2018 से L.I.C. ऑफिस के पास संतोष सेन की दुकान को किराये पर लेकर संचालित किया जा रहा था. जिसमें उन्होंने उमेश कुमार निर्मलकर पिता पवन कुमार निर्मलकर नयापारा निवासी को कम्प्यूटर ऑपरेटर / कैशियर के कार्य हेतु नियुक्त किया था और उसे 20,000/- मासिक वेतन का के भुगतान A/C Payee चैक से नियमित करता था.इसी बीच लॉकडाउन के समय ऑफिस बंद होने के कारण धर्मेन्द्र महोबिया ने उभेश कुमार निर्मलकर को 15,000/- मासिक वेतन दिया जाने लगा साथ ही संतोष सेन की किराये की दुकान को खाली कर दिनांक 01 नवंबर 2021 महाराष्ट्र बैंक के बाजू में लाइफ प्लस ऑफिस का संचालन हेतु ब्रम्हानंद गुप्ता की दुकान को किराये में लेकर उपभोक्ताओं की L.I.C. प्रीमियम का कलेक्शन का कार्य उमेश कुमार निर्मलकर द्वारा किया जाता रहा.

L.I.C. लाइफ प्लस, में पॉलिसी धारको द्वारा व धर्मेन्द्र महोबिया के L.I.C. एजेण्टो के द्वारा प्रीमियम भुगतान कर रसीद प्राप्त करते रहे है, ये सारा कार्य उमेश कुमार निर्मलकर द्वारा L.I.C. लाइफ प्लस के मर्चेट आई.डी. के कैशियर आई.डी. से किया जाता रहा. जितनी भी रसीद लाइफ प्लास मर्चेण्ट आई.डी. से जारी होती है उसका इनवाइस जनरेट कर भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा महासमुन्द में जमा किया जाता था उन पॉलिसियो का रिकार्ड धर्मेन्द्र महोबिया के मर्चेण्ट आई.डी. व L.I.C. की शाखा में कम्प्यूटर में लेखा जोखा रहता है.

धर्मेन्द्र महोबिया के अभिकर्ता रामलाल चन्द्राकर व अजिन्दर सिंह सलूजा ने बताया कि वो दोनों उमेश कुमार निर्मलकर को उपभोक्तओं के प्रीमियम की राशि जमा कर रसीद प्राप्त करते है. उसमें कुछ पालिसियो का कमीशन नही मिल रहा है और L.I.C. शाखा मे पता किये तो ज्ञात हुआ कि इनका प्रीमियम जमा नही हुआ है.इसके बाद 17 दिसंबर 2021 को धर्मेन्द्र महोबिया को सर्वप्रथम इस बात की जानकारी हुई तब उसने उमेश कुमार निर्मलकर को इस संबंध में बुलकार पुछताछ किया तो उसने स्वीकार किया कि उसके द्वारा कुछ एजेंटो द्वारा उपभोक्तओं के जमा किये गये प्रीमियम व उपभोक्तओं द्वारा जमा किये प्रीमियम की राशि को स्वयं रख कर उपभोग कर लिया है (गबन कर लिया है) और ऑफिस के कम्प्यूटर से उन उपभोक्तओं की पुरानी प्रीमियम की पटी हुई रसीदों की कापी निकालकर उन्हें फोटो शाप कर उसमें प्रीमियम की राशि अंकित कर और जमा करने की तारीख का इन्द्राज कर और गलत ट्रांजेक्शन कर L.I.C. लाईफ प्लस का फर्जी सील बनवाकर उसे लगाकर अपने हस्ताक्षर कर उपभोक्तओं और बीमा एजेंटो को रसीद प्रदान किया।

तब धर्मेन्द्र महोबिया ने उमेश कुमार को तुरन्त काम बंद करने का और आफिस में ताला लगाकर चाबी देने को कहा तो उमेश ने ऑफिस से कम्प्यूटर प्रिंटर और सी.पी.यू. और रजिस्टर और आफिस की चाबी को लाकर धर्मेन्द्र महोबिया के घर में सौंप दिया।

इसके बाद धर्मेन्द्र महोबिया के बीमा एजेंटों को उमेश कुमार द्वारा दिये गये फर्जी प्रीमियम रसीद की जांच करने पर पाया की उक्त रसीदों में अंकित राशि भारतीय जीवन बीमा निगम में पटाई नहीं गई है और कम्प्यूटर से धर्मेन्द्र महोबिया के नाम की रसीद निकालकर उसमें फर्जी सील लगाकर अपने हस्ताक्षर कर उमेश कुमार बीमा के एजेंटों और उपभोक्ताओं को प्रदान करता रहा है.

इस प्रकार उमेश कुमार ने धोखाधाड़ी कूटरचना और अमानत में ख्यानत किया और भारतीय जीवन बीमा निगम के साथ भी उनके नाम पर प्रीमियम की राशि लेकर गबन कर फर्जी सील लगाकर हस्ताक्षर कर छल-कपट और कूटरचना किया है.

इसके बाद उमेश कुमार द्वारा किये गये अपराध का पूरा विवरण देने को कहा तो वह उसे 07 दिन के भीतर सभी उपभोक्ता जिनकी प्रीमियम की राशि उसने गबन की है उनका नाम और समस्त राशि को लाकर जमा करने का आश्वासन दिया.

जिसपर धर्मेन्द्र महोबिया ने उपभोक्तओं को हित को ध्यान में रखते हुए उसे 07 दिन का समय दिया, लेकिन 07 दिन के पश्चात उमेश के नहीं आने पर जब वह उमेश के घर जाकर मिला तो उमेश कहने लगा कि मैं पैसा नहीं दूंगा जो करना है कर लो, जाओं मेरे नाम से थाना में रिपोर्ट कर दो.

धर्मेन्द्र महोबिया ने बताया कि उमेश कुमार निर्मलकर फर्जी रसीद बनाकर उसमें फर्जी सील लगाकर हस्ताक्षर कर ग्राहकों को प्रदान करता रहा और फर्जी प्रीमियम रसीद की राशि वसूल कर पालिसी धारकों को प्रदान किया.

मामले में पुलिस द्वारा उमेश निर्मलकर के विरूद्ध अपराध धारा 420,467,468,471 भादवि का घटित होना पाया गया,  जिसपर अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है.

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