//हृदेश कुमार बुन्देली दर्शन न्यूज छतरपुर//
.विश्व में हिंदू धर्म का सबसे रहस्यमयी शिव मंदिर पाकिस्तान: सती के वियोग में विह्वल भगवान शिव के कटासराज में गिरे थे दो आंसू.
कटासराज का महाभारत युग से भी नाता पाण्डवों ने वनवासकाल के 4 साल का समय यहीं बिताया
विश्व में हिंदू धर्म का सबसे रहस्यमयी भगवान शिव जी का मंदिर पाकिस्तान के कटासराज में हैं, जहां मुस्लिम भी सिर झुका कर इबारत करते हैं l पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब सती माता ने अपने आप को हवन की अग्नि में भस्म कर लिया था तो भगवान शंकर का क्रोध चरम पर था। मगर क्रोध के साथ साथ उन्हें अपनी अर्धंगिनी को खोने का दर्द भी था। कहते हैं जब भगवान शंकर उनके यानि सती माता के जलते हुए शरीर को लेकर ब्रह्मांड में विचर कर रहे थे, तो उनके नेत्रों से आंसुओं के वर्षा हो रही थी, जिसकी दो बूंदें पाकिस्तान में गिरी थी, जहां आज के समय में मंदिर स्थापित है। पाकिस्तान में कटासराज हिन्दुओं का पवित्र स्थान है। कहते हैं सती के वियोग में विह्वल भगवान शिव के दो आंसू गिरे थे। एक कटासराज में और दूसरा भारत में राजस्थान के पुष्कर राज में हैं । लोक मान्यता है कि इस तीर्थ के कुंड में स्नान करने से समस्त पापों का क्षय होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। केवल हिंदू ही नहीं विभिन्न धर्मों के अनुयायी यहां स्नान के लिए आते हैं और प्रार्थना करते हैं।
कटासराज का महाभारत युग से भी नाता......
कटासराज का महाभारत युग से भी गहरा नाता है। माना जाता है कि पाण्डवों ने वनवासकाल के 4 साल का समय यहीं बिताया था। यहां की अद्भुत झील में असीम शक्ति है। युधिष्ठिर ने यहीं पर यक्ष को हराकर अपने भाइयों को जीवित किया था।
श्रद्धा का प्रतीक है कटासराज......
पौराणिक काल में कटासराज का यह सरोवर कभी ‘विषकुंड’ कभी ‘अमरकुंड’ और कभी ‘अमृत कुंड’ कहलाया। नमक और कोयले के पहाड़ों के बीच पंजाब के चकवाल जिले का यह तीर्थ पूर्व में ‘चौशैदनशाह’ और पश्चिम में ‘करियाला’ कस्बों के बीच स्थित है। महाभारत काल में अवश्य यह वीरान पहाड़ी क्षेत्र रहा होगा। कोयले और नमक का तब आविष्कार नहीं हुआ होगा। दूर दराज तक कहीं पानी होगा ही नहीं। पांडवों ने अवश्य किसी ऊंचे टीले पर चढ़ कर प्रकृति के इस अद्भुत चश्मे को देखा होगा। निश्चय ही इस स्थान पर यक्षों किन्नरों का निवास रहा होगा l पाकिस्तान का यह क्षेत्र नमक और कोयले की सदियों तक न खत्म होने वाली खानों से घिरा हुआ है l कटासराज लाहौर से 280 किलोमीटर दूर है। कटासराज पर इस्लामी, बौद्ध और हिंदू संस्कृति का प्रभाव है। वहां स्थित बौद्ध स्तूप, हरि सिंह नलवा का किला और राम दरबार तीनों संस्कृतियों का सुमेल है। खंडहर स्वरूप ही सही, शिवलिंग का वहां होना शैवमत के प्रभाव को दर्शाता है।
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