छत्तीसगढ़ से ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी

---------------------------------------------------कंटूरट्रेंच, ब्रशवुड, बोल्डर चेक डेम, गेबियन संरचना, अर्दन गलीप्लग, तालाब, परकोलेशन टेंक व स्टापडेम जैसी संरचनाओं का किया गया है निर्माण

27 किलो मीटर लम्बे नाले व 10 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्रफल में भूजल संरक्षण व मृदा क्षरण उपचार का हो रहा कार्य

नरवा योजना से 3.099 लाख घन मीटर संचित जल का प्रत्यक्ष लाभ

सिंचित क्षेत्र में वृद्धि के साथ मृदा क्षरण रोकने में कारगर हो रही योजना
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रायगढ़, 6 जनवरी 2022/ नरवा विकास योजना छत्तीसगढ़ शासन की एक महत्वाकांक्षी योजना है।  जिसका मूल उद्देश्य नदी-नालों एवं जल स्त्रोतो को पुर्नजीवन प्रदान करना है। आज नरवा विकास योजना ने राज्य के नरवा एवं जल स्त्रोतो के उपचारित करने, भूमिगत जल स्तर सुधार एवं मृदा क्षरण रोकने में महती भूमिका निभा रही है। योजना से सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि होने से अब किसान भी रबी फसल लेने के लिए प्रोत्साहित हो रहे है।
नरवा विकास के अन्तर्गत जिले के धरमयजगढ़ वनमण्डल अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में धरमजयगढ़ परिक्षेत्र अंतर्गत सरिया नाला का उपचारित किया गया है। सरिया नाला की कुल लम्बाई 27 कि.मी एवं 10 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्रफल का भू-जल संरक्षण एवं मृदा क्षरण उपचार किया जा रहा है। नालों के उपचार के लिए कंटूरट्रेंच, ब्रशवुड, बोल्डर चेक डेम, गेबियन संरचना, अर्दन गलीप्लग, तालाब, परकोलेशन टेंक तथा स्टापडेम आदि कुल 733 संरचनाओं के निर्माण हेतु कुल 610 लाख की राशि का प्रावधान है। जिसमें से कुल 732 संरचनाओं के निर्माण हेतु 541.08 लाख की राशि के कार्य पूर्ण किये जा चुके है।
       नरवा विकास योजना द्वारा मुख्य रूप से 3.099 लाख घन.मी. जल भण्डार मे वृद्धि होगी, जिससे की संभावित जल सिंचाई क्षेत्र 27 हेक्टेयर होगी तथा वनक्षेत्र में 957 हेक्टेयर मृदा क्षरण को कम करने में सफलता प्राप्त हो रही है। नरवा विकास के अन्तर्गत निर्माणकार्यो के माध्यम से ग्रामीणों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिल रहा है। वन क्षेत्रों में निर्माण किये गये तालाबों एवं स्टाप डेम द्वारा भूजल स्तर मे अनुमानित औसत वृद्धि 24.47 सेमी. हुई है। इसके अलावा 3.099 लाख घन मीटर संचित जल का प्रत्यक्ष लाभ वन एवं वन्य प्राणियों को भी मिल रहा है, जिससे वन्य प्राणियों को वन क्षेत्रों में भोजन एवं रहवास में सुविधा हो रही है। जिसके फलस्वरूप हाथी व मानव द्वंद जैसी घटना के कम होने की भी संभावना है।

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