गर्भाधान से पूर्व बेचते थे 15-20 लीटर दुध, अब उत्पादन बढ़कर हो गया है 200 लीटर प्रतिदिन
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रायगढ़, 7 जनवरी 2022/ कृत्रिम गर्भाधान तकनीक पशुपालकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के माध्यम से जहां पशुपालकों को देशी गाय और भैंस से उन्नत नस्ल के पशुधन प्राप्त रहे, साथ ही उनके दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होने से उनकी आय भी बढ़ रही है।
विकासखण्ड तमनार के ग्राम बासनपाली निवासी पशुपालक श्री हीरालाल पटेल पिछले 25 वर्षो से पशुपालन और कृषि कार्य कर रहे है। श्री पटेल ने सर्वप्रथम वर्ष 1996 में एक देशी भैंस व 3 जर्सी क्रास गाय से दुग्ध व्यवसाय प्रारंभ किया था। इसके लिए श्री पटेल को स्वयं व दो मजदूर के साथ गाय व भैंस को गाभिन कराने पशु चिकित्सालय तमनार में आकर चिकित्सालय में उपलब्ध सांडों द्वारा क्रास करवाना पड़ता था। सांड द्वारा गाभिन होने की संभावना कम होने के कारण श्री पटेल को बार-बार आना पड़ता था। जिससे समय और मेहनत अधिक लगता था। इसके अलावा दुग्ध उत्पादन कम होने से स्वयं ही बेचना पड़ता था, लेकिन आज श्री पटेल स्वयं का डेयरी व्यवसाय संचालित कर रहे है। इसका पूरा श्रेय वे कृत्रिम गर्भाधान तकनीक को देते है। श्री पटेल कहते है कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का उपयोग करने से उनकी डेयरी में आज 11 उन्नत नस्ल की गाय, 2 सांड़ व 11 बछड़े व बछियां हैं। गायों के कृत्रिम गर्भाधान के पूर्व जहां श्री पटेल मात्र 15-20 लीटर दूध बेचते थे वहीं अब कृत्रिम गर्भाधान से उत्पन्न गायों से प्रतिदिन 200 लीटर दूध बेच रहे हैं व अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। उनका कहना है कि यह फायदा मात्र कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक अपनाने से ही संभव हो पाया है।
उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाये श्री आर.एच पाण्डेय बताते है कि वर्ष 2000 से कृत्रिम गर्भाधान कार्य प्रारम्भ होने से घर पहुंच सेवा के अंतर्गत एच.एफ.,जर्सी, गिर, साहीवाल नस्ल के वीर्य का उपयोग करके श्री हीरालाल पटेल की गायों से क्रास करवाकर मनचाही नस्ल की बछिया/बछड़े का जन्म हुआ। श्री हीरालाल पटेल के घर में जन्म हुये बछिया का पशु चिकित्सालय तमनार के अधिकारी/ कर्मचारियों द्वारा दी गई तकनीकी सलाह द्वारा व वैज्ञानिक विधियों द्वारा पालन-पोषण किये जाने से गर्भधारण की उम्र जल्दी प्राप्त करने में सफलता हुई। जिससे उनके उन्नत पशुधन में वृद्धि हुई है जिससे उनकी आय भी बढ़ी है।
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