//हृदेश कुमार ब्यूरो बुंदेली दर्शन न्यूज़ छतरपुर//
दुनिया में भगवान गणेश का एकमात्र ऐसा मंदिर तिरुवरुर जहां होती इंसान के रूप में गणपति का पूजा
पितरों की शांति के लिए तमिलनाडु में किया जाता पूजन
भगवान शिव जी के कहने पर श्री राम ने की गणेश मंदिर तिरुवरुर में अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ
भगवान गणेश को समर्पित देशभर में आपको कई अनोखे और प्रसिद्ध मंदिर मिल जाएंगे। हर मंदिर की अपनी एक खासियत और पौराणिक महत्व जुड़ा हुआ है, इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले में स्थित है। भगवान गणेश को समर्पित देशभर में आपको कई अनोखे और प्रसिद्ध मंदिर मिल जाएंगे। हर मंदिर की अपनी एक खासियत और पौराणिक महत्व जुड़ा हुआ है, इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले में स्थित है। यहां स्थापित गणेश मंदिर देश के अन्य मंदिरों से एकदम अलग है। आपने ज्यादातर मंदिरों में गज रूप में ही गणेश प्रतिमा देखी होगी, लेकिन इस मंदिर में गणेश की प्रतिमा एक नर रूप में विराजमान है। इसी खासियत की वजह से ये मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि लोग यहां दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। इसके अलावा इस मंदिर में लोग पितरों की शांति के लिए भी आते हैं। ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान शिव ने गुस्से में आकर श्री गणेश की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया था। जिसके बाद गणेश को गज का मुख लगाया गया था, तब से उनकी प्रतिमा इसी रूप में हर मंदिर में स्थापित होती है। लेकिन आदि विनायक मंदिर में गणपति का इंसान का चेहरा होने का कारण यही है कि भगवान का गज मुख लगने से पहले उनका मुख इंसान का था, जिस वजह से उनकी पूजा इस रूप में यहां की जाती है।
पितरों की शांति के लिए होती है यहां पूजा
आदि विनायक मंदिर में एक बार भगवान राम ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा की थी, तब से इस मंदिर में लोग अपने पितरों की शांति के लिए पूजा-पाठ करते आ रहे हैं। यही वजह है कि इस मंदिर को तिलतर्पणपुरी के नाम से भी जाना जाता है। पितरों की शांति के लिए पूजा नदी के किनारे की जाती है, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान मंदिर के अंदर किए जाते हैं। वैसे आपको ये मंदिर साधारण सा दिखाई देगा, लेकिन लोगों के बीच इसकी महत्ता बहुत है। तिलतर्पणपुरी शब्द में तिलतर्पण का अर्थ है पितरों को समर्पित और पूरी का अर्थ है शहर। इन्हीं अनोखी बातों की वजह से लोग यहां दर्शन व पूजा करने के लिए रोज आते हैं।
*भगवान शिव और मां सरस्वती की भी होती यहां पूजा*
आदि विनायक मंदिर में न केवल श्री गणेश की पूजा होती है, बल्कि यहां शिव और मां सरस्वती जी की भी पूजा की जाती है। वैसे इस मंदिर में खासतौर पर शिव की ही पूजा की जाती है, लेकिन यहां आने वाले भक्त आदि विनायक के साथ-साथ मां सरस्वती का भी आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं।
श्री राम से जुड़ा है कुछ इस तरह का नाता
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान राम अपने पिता की शांति के लिए पूजा-पाठ कर रहे थे, तो उनके द्वारा रखे गए चार चावल के लड्डू कीड़ों के रूप में बदल गए थे। जब-जब पिंड बनाकर रखे गए तब तब ये स्थिति उस दौरान देखने को मिलती रही। इस पर जब भगवान राम ने शिव जी से इस बारे में हल जानना चाहा, तो भगवान ने उन्हें आदि विनायक मंदिर में आकर विधि के साथ पूजा करने का सुझाव दिया। भगवान शिव के कहने पर श्री राम ने इस मंदिर में अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए विधि विधान के साथ पूजा-पाठ का कार्य पूरा किया। ऐसा कहा जाता है कि पूजा के दौरान चावल के चार पिंड शिवलिंग में तब्दील हो गए थे। आज ये चार शिवलिंग आदि विनायक मंदिर के पास मौजूद मुक्तेश्वर मंदिर में स्थापित हैं।
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