सागर। मैंने आपको नव वर्ष की बधाई नहीं दी। हम अंग्रेजी नववर्ष मनाकर उनको पीड़ा पहुंचाएं जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह गलत परंपरा है देश की संस्कृति, धर्म को न भूलें। हमारा नववर्ष चैत्र मास से शुरू होता है। जवान पर हिंदी और माथे पर बिंदी यह हमारे देश की पहचान है, इसे कभी मत भूलना। यह बात संत कमल किशोर नागर जी ने पटकुई बरारू स्थित वृंदावन धाम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा सप्ताह के छठवें दिन धर्मसभा को संबोंधित करते हुए कही।संत श्री नागर जी ने श्रद्धालुओं को सीख देते हुए कहा कि हम थोड़ा पढ़ लिख गए और अच्छी नौकरी मिल गई तो हमने आधुनिक बनकर संस्कृति को भुला दिया। खासकर कुछ महिलाएं तो और भी आगे निकल गई है चूड़ी नहीं पहनेंगी, मांग नहीं भरेंगे, बिंदी नहीं लगाएंगी, बिछड़ी, पायल पैरों से गायब है। पेट तो मजदूर भी भरते हैं, लेकिन उनकी महिलाओं के माथे पर बड़ी बिंदी और मांग भरी हुई होती है। थोड़े से पैसे क्या आए कि शरीर से सब कुछ गायब हो गया। पेट तो कुत्ता भी भरता है, लेकिन जो मांग भर्ती हैं वह भारतीय नारी हैं। जो महिला मांग नहीं भर्ती, बिंदी नहीं लगाती उसे मनुष्य नहीं कहा जा सकता।कपड़े ऊंचे और कर्म नीचे हो गए संतश्री नागर ने कहा कि हम पढ़े तो थोड़ा लेकिन बिगड़ ज्यादा गए हैं उससे ज्यादा खराब हालात यह हैं कि हमारी बहन, बेटियों ने अपने शरीर पर कपड़े कम कर दिए हैं। यहां तक कि अब ओछे, पतले और कपड़े ऊंचे हो गए हैं। कपड़े ओछे हो और कीमत ज्यादा हो तो उसका कोई महत्व नहीं है। कपड़े से तन ढका हो और उनकी कीमत कम हो तो ही ठीक है। जब से कपड़े ऊंचे हुए हैं, तब से कर्म नीचे गिर गए हैं। हम बंगलों में रहते हैं, खूब कमाते हैं फैशन में प्रतिस्पर्धा करते हैं, लेकिन चरित्र में हम बहुत नीचे चले गए हैं। जो चरित्र से गिर जाता है उसके हजार जन्म बिगड़ जाते हैं। चरित्र बिगड़ जाए तो फिर मीरा, राम, कृष्ण बौद्ध कहां से लाओगे।संत नागर जी ने श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण द्वारा ब्रज छोड़ने, गोपियों के वियोग, कृष्ण द्वारा कंस वध, कृष्ण रुक्मिणी विवाह, महाभारत के कुछ प्रसंगों को विस्तार से वर्णन किया। सागर में प्रथम वार संत नागर जी की कथा कराने खनिज विकास निगम के उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डा. सुशील तिवारी का संत नागर जी ने हाटकेश्वर धाम प्रतीक चिन्ह एवं गमछा भेंट कर सम्मान किया। शाम को नगरी प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने संत नागर जी से भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर यजमान श्रीमती राम श्रीए श्याम केशरवानी, मदन सिंह राजपूत, राकेश राय, विनोद गुरु, जगदीश गुरु, राजेश केशरवानी आदि उपस्थित थे।
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