देश विदेश - How 5G Affects Airlines: अमेरिका में 5G सर्विस शुरू होते ही टल गई. वजह रही कि इससे एयरलाइन को लैंड करने में दिक्कत हो सकती थी. इसका नतीजा ये रहा कि भारत और अमेरिका की कई उड़ानें रद्द करनी पड़ गईं. कहा जा रहा है कि 5G के चलते लैंडिंग के दौरान विमानों के नेविगेशन सिस्टम में बाधा आ सकती है. अमेरिकी एयरलाइन कंपनियों का कहना है कि 5G टेक्नोलॉजी विमानों को बेकार कर सकती है. अमेरिका में बुधवार से AT&T और Verizon ने 5G सर्विस को शुरू करने का फैसला टाल दिया है. ये दो वहां की बड़ी टेलीकॉम कंपनियां हैं.
लेकिन हुआ क्या है?
अल्टीमीटर वो इक्विपमेंट होता है जो पायलट को विमान को लैंड करने में मदद करता है. अल्टीमीटर से ही पता चलता है कि जमीन और विमान के बीच कितनी दूरी है. इसकी मदद से पायलट विमान की सेफ लैंडिंग करवा सकता है. अल्टीमीटर लो विजिबिलिटी में बहुत ज्यादा काम आता है.
लेकिन हुआ क्या है?
- चाहे 3G हो, 4G हो या 5G हो. इन्हें चलाने के लिए स्पेक्ट्रम की जरूरत होती है. इन स्पेक्ट्रम की फ्रीक्वेंसी जितनी ज्यादा होती है, उतनी ज्यादा स्पीड मिलती है. - अमेरिका में 5G के लिए जो स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई है, उसकी फ्रीक्वेंसी 3.7 से 3.98 GHz है. इसे C-बैंड भी कहा जाता है. - इसमें दिक्कत हुई है एयरलाइन के अल्टीमीटर में. अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) के मुताबिक, फ्लाइट का अल्टीमीटर 4.2 से 4.4 GHz की फ्रीक्वेंसी पर काम करता है
अल्टीमीटर वो इक्विपमेंट होता है जो पायलट को विमान को लैंड करने में मदद करता है. अल्टीमीटर से ही पता चलता है कि जमीन और विमान के बीच कितनी दूरी है. इसकी मदद से पायलट विमान की सेफ लैंडिंग करवा सकता है. अल्टीमीटर लो विजिबिलिटी में बहुत ज्यादा काम आता है.
अल्टीमीटर और 5G की फ्रीक्वेंसी में क्या कनेक्शन?
- चिंता की बात ये है कि अल्टीमीटर और 5G स्पेक्ट्रम की फ्रीक्वेंसी में ज्यादा फर्क है. एयरलाइन कंपनियों ने चिंता जताई है कि अल्टीमीटर और 5G की फ्रीक्वेंसी आसपास है, इसलिए इससे अल्टीमीटर पर बुरा असर पड़ सकता है, जिस कारण नेविगेशन सिस्टम खराब हो सकता है.
एयरलाइन कंपनियों का क्या है कहना?
- एयरलाइन कंपनियों का कहना है कि 5G को देशभर में शुरू करें, लेकिन रनवे से 3.2 किलोमीटर दूर होना चाहिए, ताकि विमान के अल्टीमीटर पर असर न पड़े. - न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यूनाइटेड एयरलाइन ने कहा था कि अगर 5G नेटवर्क रनवे पर रहता है तो इससे हर साल 15 हजार से ज्यादा फ्लाइट्स और 12.5 लाख यात्री प्रभावित होंगे.
टेलीकॉम कंपनियों क्या कह रहीं हैं?
- Verizon और AT&T का कहना है कि दुनियाभर के 40 से ज्यादा देशों में 5G शुरू हो गया है, लेकिन वहां एयरलाइन में ऐसी किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई है.
तो वहां क्यों परेशानी नहीं हुई?
- यूरोपियन यूनियन के 27 देशों में 5G शुरू हो गया है. 2019 में यूरोपियन यूनियन ने 5G के लिए फ्रीक्वेंसी तय की थी. इसके मुताबिक, 5G की फ्रीक्वेंसी 3.4 से 3.8 GHz होगी. ये अमेरिका में तय फ्रीक्वेंसी से कम है. वहीं, फ्रांस में भी जो स्पेक्ट्रम यूज होता है, उसकी फ्रीक्वेंसी 3.6 से 3.8 GHz है. - दक्षिण कोरिया में अप्रैल 2019 में 5G शुरू हो गया था. यहां की फ्रीक्वेंसी 3.42 से 3.7 GHz है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अभी तक किसी भी देश में एयरपोर्ट के पास 5G चलाने में कोई दिक्कत नहीं आई है. - न्यूज एजेंसी ने अमेरिका के वायरलेस ट्रेड ग्रुप CTIA के हवाले से बताया है कि यूरोप और एशिया के करीब 40 देशों में 5G के लिए C-बैंड का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन वहां विमानों के रेडियो अल्टीमीटर्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.
एयर इंडिया की 14 उड़ानें रद्द हुईं
- एयर इंडिया (Air India) ने भी 5G के चलते भारत-अमेरिका मार्गों पर 14 उड़ानों को रद्द कर दिया. - एयर इंडिया के मुताबिक, बुधवार को 8 उड़ानें रद्द कर दी थीं. इनमें दिल्ली-न्यूयॉर्क, न्यूयॉर्क-दिल्ली, दिल्ली-शिकागो, शिकागो-दिल्ली, दिल्ली-सैन फ्रांसिस्को, सैन फ्रांसिस्को-दिल्ली, दिल्ली-नेवार्क और नेवार्क-दिल्ली की फ्लाइट शामिल है. - गुरुवार को भी 6 उड़ानें रद्द हो गई हैं. इनमें दिल्ली-शिकागो, शिकागो-दिल्ली, दिल्ली-सैन फ्रांसिस्को, सैन फ्रांसिस्को-दिल्ली, दिल्ली-नेवार्क और नेवार्क-दिल्ली की फ्लाइट है.
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