अर्पित बिल्थरे की कलम से
आज हम बात करने जा रहे हैं सागर शहर की और सागर शहर की आत्मा कहे जाने वाली लाखा बंजारा झील और सागर की खूबसूरती की,, लेकिन अभी की परिस्थिति को देखकर एक गाना याद आता है ।। क्या से क्या हो गया बेवफा तेरे प्यार में,, यानी कि स्मार्ट सिटी के इंतजार में सागर की तस्वीर ही बदल गई , सपना दिखाया तो जा रहा है लेकिन पूरा कब होगा इसका कोई अता पता नहीं,,जहां एक तरफ सागर हरा भरा और लाखा बंजारा झील में लहरों से भरा नीला और चमचमतआता पानी और अब की बात करें तो तस्वीर बिल्कुल उल्टी है,, जहां पर इंसानों का बसेरा जानवरों का बसेरा यहां तक की तालाब में टेंट भी लगा दिया,, प्रशासन की लापरवाही ओं से भरा हुआ दिख रहा है पूरा काम, और तो और ए तो बीरबल की खिचड़ी हो रही है, चलता ही चला जा रहा है काम रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है,, न जाने कितने साल लग जाएंगे वापस से सागर को खूबसूरत होने में ।।वहीं दूसरी ओर सड़कों की ऐसी हालत हो गई है कि एक गड्डी से बचो तो दूसरे गड्ढे में वाहन गिर जाते हैं ,, जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है, और वही घर से निकलते हैं बन ठन कर जहां पहुंचना है वहां बन जाते हैं धूल के भूत,,सागर प्रशासन कहती तो है कि काम हो रहा है,, पर ऐसा लग रहा है कि हकीकत में नहीं सपने में हो रहा हो,, जनता को लड्डू दिखाई तो जा रहे हैं लेकिन मुंह तक नहीं पहुंच रहे हैं,, वाह रे सागर स्मार्ट सिटी,, अभी तो सिटी की सीटी सी बज गई है, सीटी बजाने वाले और कोई नहीं सागर प्रशासन खुद ही है और कहीं काम चल भी रहे हैं तो ऊंट पटांग तरीके से,, आड़े टेढ़े रोड बनाए जा रहे हैं कहीं ऊपर तू कहीं नीचे वाहन चलाने वाला और पैदल चलने वाले कुछ समझ ही नहीं आता कहां जाऊं कैसे जाऊं,, और जहां भी सड़क के खुद कर पाइप बगैरा डाले जा रहे हैं,, वापस सुधारने के नाम पर इतना घटिया काम होता है कि पूछो ही मत उल्टा सीधा और कमजोर आड़ा तेडा रोड नाली सुधार कर चले जाते हैं और भुगतना पड़ता है आम जनता को,,, अगर बुंदेलखंडी में बोले तो ,, भाड़े को पवारो कर देत हैं,,, अब देखना यह है कब तक चलता है एक खेल जनता के सामने,,

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