छत्तीसगढ़
------------------------------------------------खरसिया। राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर महज व्यक्ति नहीं एक राष्ट्रीय विचारधारा के रूप में मान्य हैं। भारतीय इतिहास ही नहीं अपितु विश्व इतिहास में वीर दुर्गादास का अद्वितीय स्थान है। अपने राज्य या सत्ता सुख भोगने की लालसा में युद्ध लड़ने वाले तो अनेक हुए हैं, परंतु भारतीय स्वतंत्रता एवं संस्कृति की रक्षार्थ निष्पक्ष भाव से संघर्ष करने में राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर अद्वितीय हैं।
क्षत्रिय राठौर युवा मंच अध्यक्ष ठा.धीरज राठौर ने राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर की 303वीं पुण्यतिथि पर सिविल हॉस्पिटल में मरीजों को फल वितरण करते वक्त उक्त बात कही। वहीं कहा कि अनेक राजा- महाराजा, सरदार, सामंत, शाह-बादशाह हुए, परंतु किसी को राज्य, किसी को पद, किसी को धन संपत्ति का स्वार्थ रहा। वहीं राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर अपने लिए नहीं, देश के लिए तत्पर रहे। इसी विशेषता को लेकर दुर्गादास को राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर कहा जाता है। वीर दुर्गादास राठौर के त्याग की तुलना स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले राजा महाराजाओं से नहीं की जा सकती।
क्योंकि राजा-महाराजाओं ने अपना राज्य अर्जित करने के लिए विरोधी शक्तियों से लड़ाई लड़ी थी, जबकि दुर्गादास राठौर ने अपने लिए नहीं बल्कि राष्ट्र, क्षत्रित्व, हिंदुत्व धर्म की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी।
आयोजन के दौरान खरसिया हॉस्पिटल प्रभारी डॉ.दिलेश्वर पटेल, डॉ.शिशिर राठौर, ठा.धीरज राठौर, रमेश राठौर, कन्हैया राठौर, अरुण राठौर, निखिल राठौर, सुरेश राठौर, नरेंद्र राठौर, सचिन राठौर, रवि राठौर सहित अन्य मौजूद रहे।
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