छत्तीसगढ़
----------–--------–------------------------------खरसिया। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर भक्तों ने भोर में ही स्नान कर पावन नदियों तथा तालाबों का रुख किया। वहीं घाटों पर दीपदान कर विधि-विधान से देवाधिदेव शिव-पार्वती की पूजा की तथा आतिशबाजी कर देव दीपावली उत्साह पूर्वक मनाई।माना जाता है कि देव दीपावली पर देवलोक धरती पर उतर आता है। सभी देवता एक साथ मिलकर देवाधिदेव भगवान शिव की महाआरती करते हैं। मान्यता है कि यदि अपनी इच्छानुसार इस दिन स्थान विशेष पर दीपक जलाया जाए तो सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और इच्छानुसार फल प्रदान करते हैं।भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन तारकासुर के तीनों पुत्रों यानी त्रिपुरासुर का वध किया, तब देवताओं ने काशी नगर में गंगा के किनारे दीप प्रज्वलित कर देव दिवाली मनाई थी। तभी से देव-दिवाली मनाने की परम्परा प्रारंभ हुई।
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