ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी
छत्तीसगढ़

------------------------------------------कोरबा। आसमान में बदली और ऊपरी क्षेत्र में चक्रवाती घेरा को देखते हुए आगामी 19 नवंबर तक मौसम में उतार चढ़ाव और बारिश की संभावना है। मौसम परिवर्तन को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र कटघोरा के मौसम विशेषज्ञ ने आगामी 18 नवम्बर तक फसल कटाई स्थगित रखने के साथ कटे फसल को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की किसानों को सलाह दी है।

खेतों में धान की फसल पक कर तैयार है। पिछले दो दिनों से जारी मौसम परिवर्तन और बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कृषि विज्ञान केंद्र कटघोरा के मौसम विशेषज्ञ संजय भेलावे ने बताया कि ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा उत्तर अंदरूनी तमिलनाडु और उसके आसपास स्थित है तथा यह 3.6 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। एक द्रोणिका उत्तर अंदरूनी तमिलनाडु से गल पश्चिम बंगाल तक आंध्र प्रदेश और उड़ीसा होते हुए 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। इसका असर देश भर में ब्याप्त है। प्रदेश में 14 नवंबर को कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। प्रदेश में अधिकतम तापमान में गिरावट तथा न्यूनतम तापमान में विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है।मौसम विशेषज्ञ भेलावे ने बताया कि ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा थाईलैंड और उसके आसपास दक्षिण अंडमान सागर के भी ऊपर स्थित है, इसके प्रभाव से एक निम्न दाब का क्षेत्र बनने की संभावना है। इसके साथ ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा 5.8 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। इसके पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए प्रबल होकर और अवदाब के रूप में उत्तरी अंडमान सागर और उससे लगे दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी के ऊपर 15 नवंबर को पहुंचने की संभावना है। उसके बाद यह पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए और प्रबल होकर आंध्रप्रदेश के तट पर उसके अगले 48 घंटे में पहुंचने की संभावना है।

इसके प्रभाव से प्रदेश में 18 और 19 नवंबर को अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। नम मौसम में कटे फसल को नुकसान हो सकता है। किसानों को चाहिए कि वे आगामी दो तीन दिन तक फसल की कटाई न करें । मौसम का रुख देखते हुए कृषि कार्य के लिये निकट के कृषि विस्तार अधिकारी से सलाह लें।

एक दिसंबर से शुरू होगी धान खरीदी

प्रदेश भर में एक दिसंबर से धान खरीदी शुरू हो रही है। ऐसे में किसान समय सीमा के भीतर धन कटाई का काम पूरा कर लेना चाहते थे। मौसम परिवर्तन ने किसानों के कार्य को बाधित कर दिया है। फसल कटाई में देरी का असर आगामी रबी फसल की बोआई पर भी पड़ेगा। धान कटाई के बाद गेहूं की बोआई के लिए तैयारी की जानी है लेकिन बारिश से बोआई पिछड़ने की संभावना बढ़ गई है।

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