छत्तीसगढ़ हेड ब्यूरो बुंदेली दर्शन

रोशन कुमार सोनी

मो - 7440966073


रायगढ़। औषधीय पौधों को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग ने अभियान की शुरूआत की थी। लोगों को नि:शुल्क पौधे वितरण के साथ ही लोगों को जागरूकता लाने का प्रयास किया मगर कुछ ही महीनो में यह अभियान थम सा गया। नतीजतन इंदिरा विहार में पड़े-पड़े कुछ औषधीय पौधे जहां मर चुके हैं तो वहीं बचे हुए पौधे मरने की कगार पर पहुंच चुके हैं। विभाग की अनदेखी के कारण इससे शासन का भी नुकसान हो रहा है।

मानव जीवन में औषधीय पौधों की महत्ता क्या है और उसकी क्या उपयोगिता क्या है, कोरोनाकाल में लोग यह जान चुके हैं। संक्रमण काल में गिलोय व तुलसी के पौधों की गुणवत्ता को जानने के बाद इसका लोगों ने काफी उपयोग किया। यही वजह रही कि संक्रमणकाल में ही लोगों का रूझान देखते हुए ही वन विभाग ने औषधीय पौधों को बढ़ावा देने के लिए एक योजना बनायी और इसके लिए जनजागरूकता अभियान चलाने के साथ ही नि:शुल्क पौधे वितरण करने का निर्णय लिया ताकि आमजन का औषधीय पौधों के प्रति रूझान बढ़े, लोग उसकी महत्ता समझें, अपने घरों में उसका रोपण करें और कई तरह की बीमारियों में उसका उपयोग कर रोगों से भी मुक्त हो सकें। इसके लिए रायगढ़ सहित वनमंडल के सभी रेंज में अभियान की शुरूआत की गई थी।

वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से गांव-गांव में पौधों का वितरण करने का काम शुरू किया गया था और लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया था मगर विडंबना है कि कुछ दिन चलने के बाद ही इस अभियान पर विराम सा लग गया। न तो समिति वाले इस ओर कोई ध्यान दे रहे हैं और न ही विभागीय अधिकारी – कर्मचारी कोई रूचि दिखा रहे हैं। नतीजतन आम लोगों को वितरण करने के लिए तैयार किये गये औषधीय पौधे वर्तमान में इंदिरा विहार में मरने की कगार पर पहुंच चुके हैं। कुछ मर चुके हैं और शेष बचे पौधे भी मुरझाने की स्थिति में पहुंचने लगे हैं। इससे शासन को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है।

प्रचार-प्रसार पर नहीं दे रहे ध्यान
औषधीय पौधों के कई लाभ है। इससे न सिर्फ कई बीमारियों से लड़ा जाकर उसे खत्म किया जा सकता है बल्कि इसके जरिये पर्यावरण में संतुलन बनाकर प्रदूषण को भी दूर किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आम लोगों को औषधीय पौधों के प्रति जागरूक किया जाये मगर वन विभाग इसके प्रचार-प्रसार पर ध्यान नहीं दे रहा है।

विभाग कह रहा पौधे बांट दिये
इधर विभाग है कि अपनी लापरवाही मानने को तैयार नहीं है। रेंज के डिप्टी रेंजर राजकुमार सारथी का कहना है कि समितियों के माध्यम से औषधीय पौधों को घर-घर बांटने का काम किया गया था। अधिकारियों के निर्देश पर स्कूलों व औषधालयों में भी पौधे रोपे गये हैं और भीड़भाड़ वाले जगहों में नि:शुल्क वितरण भी किया गया ताकि लोगों में इसके लिए प्रति जागरूकता आये। अधिकतम पौधे तो बांट दिये गये हैं और जो बचे हैं वह निर्धारित जगह पर सुरक्षित है। आने वाले समय में उसे भी बांटा जायेगा।


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