छत्तीसगढ़ हेड ब्यूरो बुंदेली दर्शन
रोशन कुमार सोनी
मो - 7440966073

 ये वे पुश्तैनी अस्त्र-शस्त्र हैं जिनका उपयोग हमारे पूर्वजों ने सदियों से इस इलाके को सुरक्षित रखने के लिए किया ।

इसी दौरान सदियों पुरानी परम्परा के अनुसार बांस के बने खाड़ों की भी पूजा सम्पन्न हुई ।
मान्यता है कि सारंगढ़ राजवंश के इतिहास में एक समय ऐसा आया था जब एक युद्ध के दौरान राज्य की सेना ने पाया कि शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए उपलब्ध शस्त्र पर्याप्त प्रभावशाली नहीं हैं। तब कुल देवी मां समलेश्वरी ने सपने में आ कर राजा साहब को आदेश दिया कि वे बांस की तलवार (खाड़ा) बनवाएं। देवी ने वचन दिया कि वे स्वयं इन खाड़ों में प्रवेश कर राजा साहब को युद्ध में सहायता करेंगी। राजा साहब ने वैसा ही किया और दुश्मन की सेना के पास अधिक अस्त्र-शस्त्र होने के बावज़ूद देवी की शक्ति से लैस बांस के खाड़ों की मदद से सारंगढ़ राज्य की सेना को युद्ध में विजय प्राप्त हुई। तब से आज तक नवरात्र के अंतिम तीन दिनों में राज्य की जनता की सुरक्षा की कामना के साथ राजपरिवार के द्वारा बांस के खाड़े प्रतिष्ठापित किये जाते हैं। इन खाड़ों में देवी का वास होता है। विजयादशमी के दिन इनमें से एक खाड़ा लेकर राजा साहब गढ़ विजय के लिए महल से प्रस्थान करते हैं। गढ़विच्छेदन करने वाले सैनिक को उपयुक्त पात्र मानते हुए राजा साहब अपने हाथों से इस शक्ति स्वरूप खाड़ा को भेंट करते हैं ।


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