छत्तीसगढ़ हेड ब्यूरो बुंदेली दर्शन 
रोशन कुमार सोनी
मो - 7440966073

खरसिया - महामारी को लेकर करीब दो वर्षों से ठप्प पड़े व्यापार और कर्जदार हुआ व्यापारी वर्ग अब साप्ताहिक संडे क्लोज के बोझ तले दबा हुआ है। ऐसे में आने वाले त्योहारों के कारण साप्ताहिक बंद को लेकर व्यापारियों के बीच विरोध की चिंगारी भड़कने लगी है।

वहीं व्यापारियों के हितों की बात करने वाले चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा व्यापारियों को सीजन में बंद से राहत देने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जा रहा। बल्कि रोजमर्रा का व्यापार करने वाले छोटे व्यापारियों पर चेंबर ऑफ कॉमर्स के आग्रह पर नगर प्रशासन और कानून का डंडा लहराया जा रहा है। जबकि बड़े व्यापारियों तथा इंडस्ट्रीज आदि बेखौफ हो संडे को भी बिजनेस कर अपनी तिजोरियां भरने में लगे हुए हैं।

डब्ल्यूएचओ ने बताया या फिर भगवान ने?

बताना लाजिमी होगा कि जिला मुख्यालय में बुधवार को साप्ताहिक बंद रखा गया है, वहीं खरसिया में रविवार को। जबकि पड़ोसी जिले सक्ती तथा अन्य अनेक नगरीय निकायों में साप्ताहिक बंद जैसा कोई प्रावधान नहीं देखा जा रहा। यह भी बताना जरूरी होगा कि साप्ताहिक बंद के दौरान रेस्टोरेंट, पार्लर, फल सब्जी एवं पान-पाऊच दुकानों के साथ और भी अनेक दुकानों को साप्ताहिक बंद से दूर रखा गया है। इतना ही नहीं अंग्रेजी शराब दुकान भी रविवार को गुलजार रहती है। ऐसे में चेंबर ऑफ कॉमर्स अथवा प्रशासनिक अधिकारी यह बतायें कि उनको विश्व स्वास्थ्य संगठन या फिर भगवान ने बताया है कि किन-किन दुकानों के खुलने से महामारी नहीं फैलेगी या फिर किस नगर में किस वार को महामारी का प्रकोप संभावित है?

सरकार बताए किस नियम के तहत है बंद?

चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष मुकेश मित्तल से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि साप्ताहिक बंद का कोई औचित्य नहीं है। क्योंकि शासन द्वारा ऐसा कोई नियम नहीं है, वहीं गुमास्ता एक्ट समाप्त हो चुका है। यदि महामारी के तहत शासन द्वारा बंद करवाया जा रहा है तो निश्चित रूप से सभी व्यापारियों को अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद करने चाहिएं। जबकि शासकीय तौर पर लॉकडाउन समाप्त कर दिया गया है, तो फिर पुलिसिया खौफ से दुकान बंद करने अथवा करवाने की भर्राशाही क्यों की जा रही है?

व्यापारी हितों के विरुद्ध बेतुके आदेश का उड़ रहा उपहास

पूर्व चेंबर ऑफ कॉमर्स के संयोजक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राजेश दवाईवाला तथा खरसिया चेंबर के पूर्व अध्यक्ष ने 300 से अधिक दुकानदारों के हस्ताक्षर करवा कर व्यापारियों को आहत ना करने की मांग की थी। परंतु ना जाने क्यों प्रशासन द्वारा इस जनहित की मांग की उपेक्षा की गई। वहीं रविवार को नई चेंबर-कमेटी के प्रस्ताव पर साप्ताहिक बंद के आदेश में यह उल्लेख किया गया कि आदेश का उल्लंघन करने पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 महामारी अधिनियम 1897 के तहत भारतीय दंड संहिता 1960/45 की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी। जबकि बेखौफ होकर पूरे बाजार में कोरोना गाइडलाइन की अपेक्षा प्रतिदिन हजारों लोगों द्वारा की जा रही है और स्थानीय पुलिस तथा प्रशासन मूक दर्शक बना सब कुछ देख रहा है। ऐसे में कहना होगा कि इस बेतुके आदेश का भरपूर उपहास उड़ाया जा रहा है।

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