ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी

छत्तीसगढ़

----------------------------------------------------बागबहार । विकासखंड के ग्राम पंचायत लोकेर बिच्छीकानी के किसान मोती लाल बंजारा गेंदे की फूल की खेती के लिए जिले का जाना पहचाना नाम बनकर उभरे हैं। पत्थलगांव व कांसाबेल क्षेत्र के अलावा जिला मुख्यालय में हो रहे सरकारी आयोजनों में भी यहां से फूल की मालाएं जा रही हैं। इससे लोगों को फूल के लिए अब भटकना नहीं पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले तक धान की फसल ही जिले की एकमात्र फसल के रूप में जानी जाती थी। समय के अनुसार इसमें परिवर्तन आया और किसान धान के साथ साथ टमाटर की फसल भी प्रमुखता से लेने लगे। परंतु अत्यधिक किसानों के इस फसल का उत्पादन करने से अब इसमें भी प्रतिस्पर्धा की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिससे किसानों को अपेक्षा के अनुरूप फसल के दाम नहीं मिल पा रहे हैं। इससे किसान नवीन फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। पत्थलगांव विकासखंड के ग्राम लोकेर बिच्छीकानी के किसान मोती लाल बंजारा क्षेत्र में गेंदा फूल की खेती के लिए एक मिसाल बन गए हैं। आलम यह है कि शादी का स्टेज सजाना हो या दीपावली की पूजा हार ओर मोती की बाड़ी के गेंदा फूल की ही मांग होती है। पत्थलगांव और कांसाबेल के क्षेत्र में मोती के गेंदा फूलों का ही उपयोग होता है तो अब जिला मुख्यालय जशपुर में भी स्टेज सजाने से लेकर गुलदस्ते बनाने तक में मोती के बाड़ी के फूल भेजे जाने लगे हैं। यही नहीं मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से लेकर अन्य शासकीय कार्यक्रमों में भी मोती के फूलों की ही डिमांड होती है। दीपावली में इन फूलमालाओं की मांग और बढ़ने वाली है। लोग एडवांस में फूलों का आर्डर दे रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि मोती बंजारा जिले में एकमात्र ऐसे किसान है जिसने अपनी जमीन पर सिर्फ गेंदे के फूल लगाए हैं और इनकी व्यवसायिक खेती कर रहे हैं। श्री बंजारा बताते हैं कि अगस्त माह में ही लगभग 8 हजार के फूल अलग-अलग अवसरों पर वे बेच चुके है। उन्होंने बताया कि गेंदा फूल की अच्छी वेरायटी होने के कारण धनतेरस, दीपावली के लिए अभी से ही फूल और माला के आर्डर आने लग गए हैं। वे सितम्बर-अक्टूबर में भी अब तक 35 हजार के फूल बेच चुके हैं। जिले भर में मोती बंजारा एकमात्र ऐसे किसान हैं जो केवल फूल की खेती करते हैं जो साल के 12 महीने फूलों के खेती में ही लगे हैं। फूल का स्थानीय बाजार नहीं होने के बाद भी मोती बंजारा सामाजिक कार्यकर्ता होने के कारण क्षेत्र में लोगों से अच्छे संपर्क हैं इस कारण अपने उत्पादन को आसानी से बेच लेते हैं और स्थानीय मार्केट की भी जरूरत नहीं होती है। श्री बंजारा ने बताया कि जिले के अलावा जिले के बाहर भी फूल की बिक्री हो रही है। मांग के अनुरूप अंबिकापुर, कोरबा व रायगढ़ जिले में भी फूल भेजे जा रहे हैं।

कोलकाता से मंगाते हैं बीज

फूल की अच्छी किस्म के उत्पादन के लिए मोती कोलकाता से बीज मंगाते हैं1 कोलकाता से बीज का क्रय कर अपने खेत में रोपाई करते हैं। अच्छे किस्म की फूल होने के कारण बाजार में उनके फूल को काफी पसंद किया जा रहा है। जिससे लगातार फूल की मांग भी बढ़ रही है। सामाजिक कार्यकर्ता होने के कारण विभिन्न कार्यक्रमों के लिए उन्हें पर्याप्त फूलमालाओं का आर्डर मिल जाता है। इससे अच्छी आमदनी के साथ पूरा सहयोग भी मिल जा रहा है।

शौक ने बदला खेती का अंदाज

हालांकि इसका सफर मोती के शौक से शुरू हुआ था। मोती बताते है कि उन्होंने फूलों के साथ अपने लगाव के कारण अपनी बाड़ी में थोड़ी सी मात्रा में ही फूल लगाए थे। यह फूल 15सौ रूपए में बिके। फिर क्या था उन्होंने गेंदे के फूल की व्यवसायिक खेती शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि फूल की खेती करने से पहले वे अपने खेतों में बाड़ी में धान की फसल के अलावा टमाटर और मूंगफली लगाया करते थे लेकिन टमाटर की फसल में सही समय पर अच्छी कीमत नहीं होने से और जल्दी खराब हो जाने के कारण फसल बदलकर अब फूल की खेती करने लगे हैं और टमाटर की फसल को पूर्णतः बंद कर दिए। पहले पहल उन्होंने वर्ष 2015 में मात्र 20 डिसमील भूमि पर गेंदा के फूलों की खेती शुरू की। इसके बाद इसका रकबा लगातार बढ़ता गया और अब वे करीब ढाई एकड़ जमीन पर इसकी खेती कर रहे है। मोती बंजारा अपने क्षेत्रों में स्वयं के व्यय से ड्रिप लगवा कर गेंदे की फसल लगा रहे हैं जिसे अतिरिक्त मजदूर, समय,और पानी की भी बचत होती है।

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