बिलासपुर संभागीय ब्युरो संजय कुमार सोनी

----------------------------------------------------सरे बाजार पटाखों का भरपूर संग्रहण बन सकता है मुसीबत

खरसिया। पिछले साल कोरोना की वजह से पटाखों की न तो आवक हुई और न चलाने की इजाजत प्रशासन ने दी थी। मगर इस बार आंशिक छूट मिलते ही शहर के धनिक व्यवसाइयों ने इस छूट का पूरा फायदा उठाकर पिछले वर्ष की कमाई भी इस वर्ष में एक साथ करने की मंशा से पटाखों का भरपूर स्टॉक मंगा रखा है। इस दृष्टि से खरसिया को छोटा शिवाकाशी कहा जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। क्यूंकि खरसिया की गली गली-गलियारों सहित दुकानों और घर के अंदर भी अवैध रूप से पटाखों की दुकानें संचालित हो रही हैं। 

यदि किसी पटाखे विक्रय स्थल पर गलती से भी कोई चिंगारी पड़ जाए तो स्थिति अत्यंत गम्भीर हो सकती है। क्योंकि मुख्य बाजारों में की सकरी गलीनुमा सड़क पर पटाखों की दुकानें ही नहीं, वरन् घरों के भीतर भी भण्डारण एवं संचालन हो रहा है। भड़के शोलों को बुझाने के लिए इन गलियों में दमकल भी नहीं हो पाएगी। कहना होगा कि खुशियों का यह त्यौहार एक चिंगारी से शोलों का रूप लेकर शहर को श्मशान में तब्दील कर सकता है।

इस वजह की होगी कोई खास वजह

ऐसा भी नहीं कि इसकी भनक प्रशासन और पुलिस को न हो। वरन् इनकी आंखों के सामने पटाखों की बिक्री धड़ल्ले से जा रही है। परन्तु किसी भी तरह की रोक-टोक या समझाइश की कतई आवश्यकता नहीं समझी जा रही। हद तो तब हो जाती है जब एसडीओपी एवं एसडीएम से इस बाबत बात करने का प्रयत्न किया जाए, तो उनसे कोई उत्तर नहीं मिलता। 

यदि दीपावली की उमंगों में एक भी चिंगारी घर दुकानों में रखें इस भंडारण पर पड़ जाए तो पूरा शहर खाक में तब्दील हो जाएगा। बावजूद जबाबदार प्रशासनिक अधिकारी साइलेंट मोड पर देखे जा रहे हैं संभवत है इस वजह की कोई खास वजह भी हो सकती है।

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