ब्युरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी
छत्तीसगढ़
---------------------------------------------------बारिश के बाद नमी वाली मिट्टी में ली जाती हैं उतेरा की फसल, किसानों को प्रेरित करने कार्ययोजना बनाकर काम करने कलेक्टर ने दिये निर्देश

दुर्ग 26 अक्टूबर 2021/छत्तीसगढ़ में पारंपरिक रूप से उतेरा अथवा ओन्हारी फसलें ली जाती थीं लेकिन धीरे-धीरे इसका चलन कम हो गया। खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस बार उतेरा फसलों पर विशेष फोकस करने प्रशासन को निर्देश दिये हैं। क्लस्टर बनाकर किसानों को उतेरा फसल अर्थात दलहन तिलहन की फसल लेने प्रेरित किया जाएगा। क्लस्टर में ही गौठान में तेल निकालने की यूनिट लगाई जाएगी। किसानों को उतेरा फसलों में अच्छा लाभ हो, इसके भी ठोस रणनीति बनाई गई है। समीक्षा बैठक में कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने इस पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में अपर कलेक्टर सुश्री नूपुर राशि पन्ना, जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक, भिलाई निगम आयुक्त श्री प्रकाश सर्वे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
*इसलिए क्लस्टर पर फोकस-* कलेक्टर ने अधिकारियों को कहा कि उतेरा फसल के लिए क्लस्टर पर फोकस करना है। यह इसलिए जरूरी है कि मवेशियों की वजह से अब तक उतेरा फसलें हतोत्साहित होती रही हैं। एक विशेष क्लस्टर में रोकाछेका को अधिक बेहतर तरीके से लागू कर सकते हैं साथ ही उस क्लस्टर में बड़ी संख्या में उतेरा फसल लेने की वजह से तेल निकालने की यूनिट गौठान में लगाई जा सकेगी। एक जगह पर संकेंद्रण होने से लाभ हो सकेगा और गौठान में इसे लेकर गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा। उन्होंने कृषि अधिकारी को इस संबंध में निर्देशित करते हुए कहा कि नमी वाले क्षेत्रों में तुरंत इसे प्रोत्साहित करें। यहां रोकाछेका कार्यक्रम पूरे जोरशोर से हो। उतेरा फसलों के लिए बीज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करा लें। धान में उन्होंने अरवा प्रजाति को बढ़ावा देने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया।
*शहरी गौठानों की आजीविका केंद्रों में नवाचार पर फोकस*- कलेक्टर ने कहा कि शहरी गौठान केंद्रों में ऐसे कार्य चिन्हांकित करें जिससे बड़े पैमाने पर लोगों के लिए रोजगार सृजन हो सके और इसके आर्थिक लाभ भी काफी हो। उन्होंने कहा कि सिलाई आदि कार्यों को बढ़ावा दिया जा सकता है वृहद पैमाने पर यह कार्य होने से बाजार तक पहुंच बनाना और उसे बनाये रखना आसान होता है। उन्होंने कहा कि शहरी जरूरतों के मुताबिक ऐसे प्रोडक्ट्स पर ध्यान दिया जाए जिसे स्थानीय स्तर पर बनाया जा सकता है और जिसकी आसानी से खपत स्थानीय बाजार में की जा सकती है।
*स्थानीय उत्पादों को तवज्जो*-कलेक्टर ने कहा कि हमारे स्थानीय स्वसहायता समूह बहुत अच्छी चीजें बना रहे हैं। अपनी अद्भुत कल्पनाशीलता के साथ बहुत आकर्षक चीजें कम लागत में उन्होंने बनाई हैं। इनके सामानों का अच्छा डिस्प्ले होगा तो इसकी काफी बिक्री होगी। इनसे बाजार में किसी तरह का शुल्क न लिया जाए, यह नगरीय निकाय के अधिकारी सुनिश्चित करें।
*आयुष के क्लीनिकों में कितने ओपीडी, राजस्व न्यायालयों में कितने मामले पेंडिंग, रोटेशन कर देखें अधिकारी*- कलेक्टर ने कहा कि आयुर्वेदिक अस्पतालों में किस तरह से ओपीडी हो रही है इसकी समीक्षा करते रहें। हर सप्ताह इसकी रिपोर्ट दें और अस्पतालों का औचक निरीक्षण भी करें। राजस्व न्यायालयों में भी उन्होंने यही बात कही। उन्होंने कहा कि रोटेशन के आधार पर डिप्टी कलेक्टर राजस्व न्यायलयों का निरीक्षण करें और यहां कार्य की प्रगति के संबंध में रिपोर्ट दें।
*दो दिन में बीटी कराएं डबरा पारा में*- कलेक्टर ने एनएच के अधिकारियों को डबरा पारा में दो दिनों के भीतर बीटी आरंभ करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जो सड़क ज्यादा प्रभावित है बीटी पहले वहां से करें और इसके बाद दूसरी साइड में बीटी आरंभ करें।

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