ब्यूरो रिपोर्ट रोशन कुमार सोनी
छत्तीसगढ़
----------------------------------------------रायगढ़, 26 अक्टूबर। जिले में शराब की अवैध बिक्री पर आबकारी विभाग और पुलिस दोनों लगातार कार्रवाइयां कर रहे हैं। इस दौरान कई चार पहिया वाहन भी जब्त हुई हैं। इन गाडिय़ों का केस भी अलग से चलता है। लेकिन ऐसी कुछ गाडिय़ां इन दिनों सरकारी विभागों को आवंटित की गई हैं। मतलब जिन गाडिय़ों में शराब तस्करी की जा रही थी, उसमें अफसर सवारी हर रहे हैं।
सोचकर बहुत अजीब लगता है कि जिन वाहनों में शराब तस्करों के साथ शराब की भारी मात्रा जब्त की गई थी, वे आबकारी या पुलिस की सुपुर्दगी में हैं। तस्कर पर कार्रवाई जिला न्यायालय में चलती है। लेकिन गाड़ी का केस कलेक्टर कोर्ट में चलता है। मिली जानकारी के मुताबिक अभी कुछ ऐसी गाडिय़ां सरकारी अफसरों को आवंटित की गई हैं। इनमें से एक जनसंपर्क और एक डीएमएफ शाखा है। उदाहरण के लिए 16 मई 2021 को पूंजीपथरा पुलिस ने बस्ती के रंजीत गुप्ता को हुंडई आई-10 कार सीजी 13 यूसी 9802 में शराब के साथ पकड़ा। गाड़ी में एक जूट की बोरी के अंदर एक और प्लास्टिक की बोरी जिसमें एक-एक लीटर वाली 65 पैकेट पॉलीथिन में महुआ शराब रखा हुआ था।आरोपी से महुआ शराब एवं परिवहन में प्रयुक्त कार जब्त कर थाना पूंजीपथरा में धारा 34(2),59 (क) आबकारी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। इसके बाद गाड़ी का केस कलेक्टर कोर्ट में चल रहा है। लेकिन फिलहाल गाड़ी जब्त नहीं बल्कि सरकारी विभाग में अटैच है। ठीक इसी तरह डीएमएफ शाखा में भी एक गाड़ी दी गई है जो शराब तस्कर से जब्त की गई थी। हालांकि राजसात गाडिय़ों को आवंटित करने का अधिकार कलेक्टर न्यायालय को होता है। गाड़ी को ऐसे ही कबाड़ की तरह पड़े रहने के बजाय इसका उपयोग किया जाता है। इससे वाहन भी मेंटेन रहता है। लेकिन अगर केस में आरोपी निर्दोष साबित हो जाए तो फिर मामला फंस जाता है। न्यायालय के अधिकार में यह भी होता है कि जब्त गाड़ी पर पेनाल्टी लगाकर उसे मुक्त कर दिया जाए।
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