खरसिया। बैसाखी के सहारे मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर जाकर पढ़ाने की मजबूरी, लाख निहोरों के बावजूद शिक्षाधिकारियों द्वारा कोई राहत ना देना, इसे बदहाल व्यवस्था कहा जाए तो अनुचित नहीं होगा।
बताना लाजिमी होगा कि सन 2003 से पुरानी बस्ती खरसिया निवासी शिक्षक अशोक राठौर मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर ग्राम जोबी के बालक आश्रम में पढ़ाने जा रहे हैं। सुबह 7:00 बजे से उनका सफर शुरू होता है, जो शाम 6 से 7 बजे तक पूर्ण होता है। यह स्थिति विगत 18 वर्षों से बनी हुई है। जबकि हैंडीकैप्ड के लिए शासन द्वारा मुख्यालय में रहकर सेवा देने की व्यवस्था दी गई है। वहीं लिखित निवेदन के बावजूद इन्हें कोई राहत नहीं दी जा रही।
शिक्षक अशोक राठौर ने बताया कि जब अपना निवेदन लेकर वह जिला शिक्षाधिकारी से मिले तो उन्होंने निवेदन तो क्या उनकी ओर एक बार नजर कर देखना भी उचित नहीं समझा। उल्लेखनीय होगा कि विगत कुछ वर्षों से शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर बीसियों बार प्रश्न चिन्ह लग चुके हैं, परंतु ना जाने किस वजह से इस व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जा रहा।
▪️इस स्कूल में बस हेड मास्टर ही हैं
वर्षों पुराने आदर्श स्कूल को आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल बनाए जाने पर आदर्श स्कूल में पढ़ने वाले पूर्व माध्यमिक कक्षाओं के 45 छात्र-छात्राओं के लिए पुत्री शाला का चयन किया गया है। जिसमें इनकी क्लासेस सुबह 7:30 से प्रारंभ होती हैं। वहीं इनके अध्यापन के लिए सिर्फ एक हेड मास्टर ही हैं। ऐसे में जिलाधीश महोदय से निवेदन है कि दिव्यांग शिक्षक को आवश्यकता के अनुरूप नगर के इस स्कूल में अध्यापन कार्य हेतु संलग्न करने की व्यवस्था देवें।
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