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रायगढ़। सारंगढ़ के इतिहास में किसी चिकित्सक की उतनी चर्चा नही हुवी थी जितना सुर्खियां वारे क्लीनिक के तथाकथित डॉक्टर ने बटोरा था। अपने भोलेपन का दिखावा करके मीडिया के सामने घड़ियाली आंसू निकालकर सारंगढ़ अंचल में सहानुभूति की जो लहर डॉक्टर वारे ने बनाई थी अब उसी लहर में उनकी नया डूबती नजर आ रही है। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की जांच में वारे क्लीनिक के डॉक्टर केपी वारे की डिग्री फर्जी निकली है। विभाग ने राज्य सरकार से सर्टिफ़िकेट के सम्बंधी जानकारी मांगी है। इसके बाद डॉक्टर और उसकी क्लीनिक पर कार्रवाही हो सकती है।
सारंगढ के हिर्री गांव में स्थित वारे क्लीनिक पर कार्रवाही के नाम पर अवैध उगाही की आरोप लगने पर सारंगढ तहसीलदार सुनील अग्रवाल को निलंबित कर दिया गया था। तीन महीने बाद उन्हें बहाल कर दिया गया है। उनके खिलाफ विभागीय जांच चलती रहेगी। मामले में संभागायुक्त सजंय अलंग ने उन्हें तीन सितंबर को निलंबित किया था,हालांकि अब हिर्री में वारे क्लीनिक में छापे के बाद डॉक्टर केपी वारे की डिग्री और क्लीनिक लाइसेंस जांच के घेरे में है। डॉ. वारे ने बिहार से बीएएमएस की डिग्री ली थी। उसकी डिग्री जांच के लिए टीम बिहार के मुजफ्फरपुर गई थी। जांच में डॉक्टर की डिग्री फर्जी निकली डॉ. वारे को क्लीनिक चलाने की परमिशन थी,लेकिन वह मरीजों को भर्ती करके इलाज किया जा रहा था। गड़बड़ी पकड़े जाने में डॉ. वारे ने अपने एमबीबीएस भाई के नाम से हॉस्पिटल खोलने की परमिशन के लिए स्वास्थ्य विभाग में कुछ दिन पहले आवेदन किया है।
सारंगढ के हिर्री में 7 मई की शाम तहसीलदार सुनील अग्रवाल, डॉ. आर. एल.सिदार और सब इस्पेक्टर कमल किशोर पटेल वारे क्लीनिक गए थे। यहां निरीक्षण के बाद कोई कार्रवाही नही की थी। तथा थाने के रोजनामचे में भी निरीक्षण के जिक्र नही किया था। तीन दिन बाद क्लीनिक के डॉ. वारे ने थाने में शिकायत कर आरोप लगाया कि जेल भेजने की धमकी देकर अफसरों ने उनसे 3 लाख रुपये वसूले थे। डॉक्टर ने आरोप लगाया था कि अफसरों ने पहले बड़ी रकम मांगी , व्यवस्था नही होने के बात पर जेल भेजने की बात कही। उन्होंने रिस्तेदारो से व्यवस्था कर तीन लाख रुपये दिए।
तहसीलदार ने CCTV फ़ुटेज डिलीट करा दिया लेकिन फ़ुटेज का एक हिस्सा रह गया। ईंस मामले में पहले SI पटेल और फिर तहसीलदार को निलंबित किया था। BMO को भी हटाया गया था , लेकिन बाद में उन्हें उसी पर पदस्थ कर दिया गया था।
बहाली की गई है लेकिन जांच चलती रहेगी-अपर कलेक्टर कुरुवंशी
सारंगढ के तत्कालीन तहसीलदार को निलंबित किया था, यह कार्रवाही सम्भागायुक्त ने की थी। अब बहाल किया गया है, लेकिन पर विभागीय जांच आगे चलती रहेगी। इसमे जो भी कार्रवाही हुई सम्भाग कार्यलय से हो रही है।
क्या कहते हैं सीएचएमओ एस एन केशरी-
डॉक्टर वारे ने बीएएमएस का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था। राज्य सरकार से भी सर्टिफिकेट के सम्बंध में जानकारी मंगाई है। फाइनल रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर के ख़िलाफ़ कार्रवाही की जाएगी।
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